हवाई अड्डे के लिये नवी मुंबई का नया नक्शा तैयार
महाराष्ट्र सरकार नवी मुंबई इलाको का एक नया नक्शा केंद्र सरकार को सौपेंगी जिससे वहां हवाई अड्डे के अनुमोदन की प्रक्रिया में तेजी आएगी नवी मुंबई का नक्शा इससे पहले १९९५ में तैयार किया गया था जिसे हवाई अड्डे की योजना में शामिल किया गया थालेकिन केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने वहां लम्बे समय से कड़ा ऐतराज जताया था शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी ने आज कहा की नया नक्शा अन्ना विश्व विद्यालय द्वारा तैयार किया गया है जो केंद्र सरकार के तटीय मानचित्र सेल द्वारा अधिकृत हैउन्होंने कहा नक़्शे को एमसी जेड एम ऐ मुंबई की एक बैठक में मंजूरी दी गई नए नक़्शे में सी आर जेड इलाके के साथ ही मैन्ग्रोव को बदा दिया गया है क्युकि एक इलाके में नदियों की बाद से ज्वारीय और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण पानी का स्तरकाफी ऊपर चला गया है पुराने नक़्शे को १/२५००० के पैमाने पर पूरा किया गया है वही नए नक़्शे का पैमाना १/४००० है जिसमे सभी सीमाओ का सीमांकन किया गया है केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने राज्य सरकार को लिखा है कि विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा २२ सितम्बर के बाद हवाई अड्डे की साईट का दौर किया जाएगा
Thursday, September 9, 2010
Tuesday, September 7, 2010
खबर हो खली तो टी आर पी महाबली.......
खबरिया चैनलों की भीड़ में हिन्दी चैनलों से जनसरोकारो वाली खबरे मीडिया से दूर होती जा रही है... खासतौर से भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया में जिस तरीके से आजकल खबरों को परोसा जा रहा है वह काफी चिंताजनक है ... अगर एन डी टी वी को छोड़ दिया जाए तो अन्य चैनल खबरों के मामले में मनोरंजन परोस रहे है.... आजादी के बाद हिन्दी पत्रकारिता ने एक नयी अलख जगाई थी... उस दौर में पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी लेकिन समय बदलने के साथ आज की पत्रकारिता बाजार के दबाव में व्यवसायिक हो गई..... ९० के दशक में भारत में खबरिया चैनलों का आगाज हुआ....देखते देखते चैनलों की संख्या बदती गई... एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ के चलते चैनलों से जनसरोकारो वाली खबरे गायब होती जा रही है.... चैनल खबरों के नाम पर मनोरंजन , सनसनी को परोस रहे है....
आज के हिन्दी के खबरिया चैनल खबरों के नाम पर थ्री सी सिनेमा , क्रिकेट ओर सेलेब्रिटी को परोस रहे है.... यही नहीं खबरिया चैनल व्यक्ति की निजी जिन्दगी पर भी खबरे चटपटे अंदाज में दे रहे है....
एक आरुषीकी मौत हो जाती है तो उसकी मौत पर सारा मीडिया बावला हो जाता है.... जबकि आरुषी जैसी कई लड़कियां कोख में जन्म लेने से पहले मार दी जाती है लेकिन हिंदी के खबरिया चैनलों को इससे कोई सरोकार नहीं है.....खबरों को मिर्च मसाले का तड़का देने के चक्कर में भूत प्रेत कंकाल वाली टी वी की हिंदी पत्रकारिता में इजाफा होता जा रहा है .... एक बच्चा अगर कही गिर जाए तो मीडिया उस पर खबरे बनाने में पीछे नहीं रहता लेकिन असलियत ये है सारे मामले मेट्रो के रहते है इसलिए मीडिया इनको तवज्जो देता है जबकि ग्रामीण इलाको में ऐसी घटनाये आये दिन घटती रहती है जिन पर हमारे खबरिया चैनलों की नजर नहीं जा पाती है... आज के खबरिया चैनलों से गाव का किसान गायब हो गया है ... पिछले तीन सालो में लाखो किसानो ने आत्महत्या की लेकिन उनकी खबरे मीडिया से नहीं आ सकी .....आमिर खान की "पीपली लाइव" में एक नत्था फिल्म चलने के बाद सारे मीडिया के सर चढ़ जाता है लेकिन नत्था जैसे कई किसानो पर मीडिया का कोई फोकस नहीं होता है...
इन दिनों हिंदी के मीडिया चैनलों में एक नया चलन चल गया है... कोई रफ़्तार से ५ मिनट में २५ खबरे दिखा रहा है तो कोई फटाफट में ४० खबरे दे रहा है ... हिंदी न्यूज़ चैनलों की माने तो ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि दर्शक खबरों से जुड़े रहे ... वैसे भी आज के समय में खबरिया चैनलों के दर्शक के पास इतना समय नहीं है वह देश दुनिया की खबरे देख सके लिहाजा उनका ये नया कांसेप्ट भी दर्शको को रास नहीं आ रहा है ... खबरे इतनी तेजी से फ्लैश हो जाती है ५ मिनट के बाद दर्शक को ये ध्यान भी नहीं रहता उसने कितनी खबरे देख ली है...
खबरिया हिंदी चैनलों में आजकल किसी मसले पर व्यापक पड़ताल भी नहीं हो रही ...हर किसी से आगे निकलने की होड़ इतनी तेज है आज खबरों की वास्तविकता से रिपोर्टरों का कुछ भी लेना देना नहीं है..... चैनलों में बड़े पदों पर बैठे लोगो को टी आर पी से मतलब होता है ...जिस चैनल की टी आर पी जितना ज्यादा होगी उस चैनल को उतने ज्यादा विज्ञापन मिलेगे.... माना आज के समय में व्यावसायिकता का बोलबाला है लेकिन हिंदी चैनल जनसरोकारो वाली खबरों को अलग नहीं रख सकते.... हिंदी चैनलों को राखी सावंत की चुम्मा बेचने ओर हंसी के रसगुल्ले बेचने से ही फुर्सत नहीं है ...
मीडिया के बहुत से विश्लेषको का मानना है भारतीय खबरिया चैनल अभी शैशव काल में है इसी के चलते आम आदमी के सरोकार टी वी के हिंदी चैनलों से दूर होते जा रहे है.... बेंजामिन ब्रेडली पत्रकारिता जगत का एक बहुत बड़ा नाम है.... शेखर गुप्ता एक बार जब अपने चैनल में उनका साक्षात्कार कर रहे थे तो उन्होंने एक बात बहुत अच्छी कही ... उन्होंने कहा था अमेरिका में आज के समय में अखबार पड़ने वाले दर्शको की संख्या में तेजी से कमी आते जा रही है ....लेकिन उन्होंने कहा अब वहां की टीवी पत्रकारिता बुनियादी मुद्दों की ओर लौट रही है ... अगर इसको आधार बनाये तो हम भारत में खबरिया चैनलों से भी इस बात की उम्मीद कर सकते है कुछ समय बाद भारत के हिंदी के खबरिया चैनलों में भी ये चलन देखने को मिल सकता है ...आखिर जब अपने घर में खाने को नहीं होगा तो कब तक राखी सावंत की चुम्मा , राजू श्रीवास्तव के हंसी के फब्बारे बेचते रहेंगे......
पंक्तिया सटीक है -----
"एक समय आयेगा जब पत्थर भी गाना गायेगा
मेरे बाग़ का फूल फिर से खिल खिलायेगा "
--------------- हर्षवर्धन पाण्डे
आज के हिन्दी के खबरिया चैनल खबरों के नाम पर थ्री सी सिनेमा , क्रिकेट ओर सेलेब्रिटी को परोस रहे है.... यही नहीं खबरिया चैनल व्यक्ति की निजी जिन्दगी पर भी खबरे चटपटे अंदाज में दे रहे है....
एक आरुषीकी मौत हो जाती है तो उसकी मौत पर सारा मीडिया बावला हो जाता है.... जबकि आरुषी जैसी कई लड़कियां कोख में जन्म लेने से पहले मार दी जाती है लेकिन हिंदी के खबरिया चैनलों को इससे कोई सरोकार नहीं है.....खबरों को मिर्च मसाले का तड़का देने के चक्कर में भूत प्रेत कंकाल वाली टी वी की हिंदी पत्रकारिता में इजाफा होता जा रहा है .... एक बच्चा अगर कही गिर जाए तो मीडिया उस पर खबरे बनाने में पीछे नहीं रहता लेकिन असलियत ये है सारे मामले मेट्रो के रहते है इसलिए मीडिया इनको तवज्जो देता है जबकि ग्रामीण इलाको में ऐसी घटनाये आये दिन घटती रहती है जिन पर हमारे खबरिया चैनलों की नजर नहीं जा पाती है... आज के खबरिया चैनलों से गाव का किसान गायब हो गया है ... पिछले तीन सालो में लाखो किसानो ने आत्महत्या की लेकिन उनकी खबरे मीडिया से नहीं आ सकी .....आमिर खान की "पीपली लाइव" में एक नत्था फिल्म चलने के बाद सारे मीडिया के सर चढ़ जाता है लेकिन नत्था जैसे कई किसानो पर मीडिया का कोई फोकस नहीं होता है...
इन दिनों हिंदी के मीडिया चैनलों में एक नया चलन चल गया है... कोई रफ़्तार से ५ मिनट में २५ खबरे दिखा रहा है तो कोई फटाफट में ४० खबरे दे रहा है ... हिंदी न्यूज़ चैनलों की माने तो ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि दर्शक खबरों से जुड़े रहे ... वैसे भी आज के समय में खबरिया चैनलों के दर्शक के पास इतना समय नहीं है वह देश दुनिया की खबरे देख सके लिहाजा उनका ये नया कांसेप्ट भी दर्शको को रास नहीं आ रहा है ... खबरे इतनी तेजी से फ्लैश हो जाती है ५ मिनट के बाद दर्शक को ये ध्यान भी नहीं रहता उसने कितनी खबरे देख ली है...
खबरिया हिंदी चैनलों में आजकल किसी मसले पर व्यापक पड़ताल भी नहीं हो रही ...हर किसी से आगे निकलने की होड़ इतनी तेज है आज खबरों की वास्तविकता से रिपोर्टरों का कुछ भी लेना देना नहीं है..... चैनलों में बड़े पदों पर बैठे लोगो को टी आर पी से मतलब होता है ...जिस चैनल की टी आर पी जितना ज्यादा होगी उस चैनल को उतने ज्यादा विज्ञापन मिलेगे.... माना आज के समय में व्यावसायिकता का बोलबाला है लेकिन हिंदी चैनल जनसरोकारो वाली खबरों को अलग नहीं रख सकते.... हिंदी चैनलों को राखी सावंत की चुम्मा बेचने ओर हंसी के रसगुल्ले बेचने से ही फुर्सत नहीं है ...
मीडिया के बहुत से विश्लेषको का मानना है भारतीय खबरिया चैनल अभी शैशव काल में है इसी के चलते आम आदमी के सरोकार टी वी के हिंदी चैनलों से दूर होते जा रहे है.... बेंजामिन ब्रेडली पत्रकारिता जगत का एक बहुत बड़ा नाम है.... शेखर गुप्ता एक बार जब अपने चैनल में उनका साक्षात्कार कर रहे थे तो उन्होंने एक बात बहुत अच्छी कही ... उन्होंने कहा था अमेरिका में आज के समय में अखबार पड़ने वाले दर्शको की संख्या में तेजी से कमी आते जा रही है ....लेकिन उन्होंने कहा अब वहां की टीवी पत्रकारिता बुनियादी मुद्दों की ओर लौट रही है ... अगर इसको आधार बनाये तो हम भारत में खबरिया चैनलों से भी इस बात की उम्मीद कर सकते है कुछ समय बाद भारत के हिंदी के खबरिया चैनलों में भी ये चलन देखने को मिल सकता है ...आखिर जब अपने घर में खाने को नहीं होगा तो कब तक राखी सावंत की चुम्मा , राजू श्रीवास्तव के हंसी के फब्बारे बेचते रहेंगे......
पंक्तिया सटीक है -----
"एक समय आयेगा जब पत्थर भी गाना गायेगा
मेरे बाग़ का फूल फिर से खिल खिलायेगा "
--------------- हर्षवर्धन पाण्डे
Monday, September 6, 2010
भाजपा विधायक दीनू सोलंकी के चचेरे भाई शिव सोलंकी को गुरुवार को राजकोट एयर पोर्ट में आर टी आई एक्टिविस्ट अमित जेठवा की हत्या के सिलसिले में गुजरात पोलिसे ने गिरफ्तार किया.... क्राईम ब्रांच के चीफ मोहन झा ने बताया की शिव सोलंकी को पोलिसे ने उस समय गिरफ्तार किया जिस समय वे मुंबई के लिए रवाना होने वाले थे ....जित्व के कुछ दिन पहले हाई कोर्ट में गिर वन इलाके में अवैध खनन के खिलाफ एक जन हित याचिका दायर की थी जिसके बाद मोटर साइकिल में सवार दो लोगो ने उनकी हत्या कर दी थी....उनके पिता भीखाभाई जेठवा ने बेटे की हत्या के पीछे जूनागढ़ से भाजपा विधायक की हाथ होने की आशंका जताई है......
पहली बार जम्मू सुरक्षाकर्मियों एक
एकe जम्मू में एकe जायदा नागरिको को मारा.......
केंद्र सरकार जम्मू में जारी हिंसा को कम करने के लिए
पहली बार जम्मू सुरक्षाकर्मियों एक
एकe जम्मू में एकe जायदा नागरिको को मारा.......
केंद्र सरकार जम्मू में जारी हिंसा को कम करने के लिए
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