प्रचार थम चुका है ..... आज पड़ रहे वोट राज्य की भावी सरकार की रूप रेखा को तय करने में मदद करेंगे.... हम बात कर रहे है १३ तारीख को होने जा रहे ३ राज्यों के विधान सभा चुनाव की जिसमे पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश में भी मतदान होना है.....अरुणाचल का चुनावी पारा इस बार ख़राब मौसम में भी सातवे आसमान में रहा ... कांग्रेस के साथ सभी पार्टी चुनाव प्रचार में आगे रही.... ६० सीटो के लिए होने जा रहे अरुणाचल के चुनाव में इस बार बहुत से उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे है.. अरुणाचल एक छोटा राज्य है जिसकी देश की राजनीती में उतनी धमक नही है जितनी उत्तर प्रदेश, कर्णाटक,पश्चिम बंगाल, महारास्ट्र, तमिल नाडू जैसे राज्यों की हुआ करती है .... वैसे भी यहाँ पर लोक सभा की २ सीट और राज्य सभा की १ सीट हुआ करती है ... लेकिन इन सबके बावजूद इस बार पूर्वोत्तर के इस राज्य पर सभी की नजरे लगी है ..... पिछले कुछ समय से पड़ोसी चीन की घुसपैठ की खबरों ने हमारे देश में हलचल खड़ी कर दी थी..... चीन से अरुणाचल की भी सीमा लगी हुई है लिहाजा अरुणाचल का भी फोकस में आना लाजमी है .... अरुणाचल को चीन अपना बताता रहा है अब यह अलग बात है वहाँ की जनता उसकी इन हरकतों से आजिज हो गई है॥
अरुणाचल लंबे समय से कांग्रेस का मजबूत गद रहा है ...इस बार भी अधिकांश विश्लेषक यहाँ कांग्रेस सरकार को वोक ओवर दे रहे है संभवतया इसका कारन यहाँ का इतिहास रहा है ... आपको यह बताते चले की अरुणाचल में उसी की सरकार बनती है जिसकी केन्द्र में सरकार हो.... इस जुमले पर अगर यकीन करे तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बन्ने से कोई नही रोक सकता ...परन्तु इस बार खांडू की राह आसान नही है ... उनकी पार्टी के कई लोगो ने शुरुवात से ही अपने बगावती तेवर अपना लिए है जिसके चलते कई जगह पार्टी की हार की सम्भावना बन रही है ...ममता बनर्जी ने के साथ अपना गठबंधन कर लिया है... और तो और लगभग १५ के आसपास पूर्व मंत्रियो और विधायको को उन्होंने राज्य में tikat दे दिए है जो कांग्रेस की जीत की संभावनाओ पर पलीता लगा रहे है ..खांडू के विरोध में कई लोग sakriy हो गए है ... परिवारवाद की आधी जिस तरीके से कांग्रेस में फल फूल रही है उसको देखते हुए कई लोग कांग्रेस से गुड बाय कह चुके है ... साथ ही राज्य की कांग्रेस में इस समय भयंकर गुटबाजी चल रही है ॥ इन सबके मद्देनजर कांग्रेस अपनी पुरानी सीट बरकरार रख लेगी यह कह पाना मुश्किल दिखाई देता है..इधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी ममता के साथ मिलकर कांग्रेस को हराने की कोशिशों में जुट गई है ...पी ऐ संगमा ने अपनी चुनावी सभाओ में कांग्रेस की जमकर खिचाई की है ... उनकी बेटी अगाथा संगमा ने भी राज्य में धुआधार प्रचार किया है जिसके परिनाम्म कुछ समय बाद सामने आ सकेंगे.....सबसे ख़राब हालत भाजपा की है ॥ पिछली बार ९ सीट उसने जीती थी ..उसके बाद उसके सारे प्रत्याशी कांग्रेस के पाले में आ गए ....अब खतरे की घंटी उसके लिए उस समय बज गई जब किरण रिजीजू जो पूर्व सांसद है भाजपा से नाता तौड़ लिया .....पिछली बार थोडी बहुत सीट भाजपा को दिलाने में रिजीजू का बड़ा योगदान था.... उनको भावी सी ऍम के रूप में भी देखा जाने लगा था.. अब उनकी भाजपा से विदाई के बाद भाजपा अपनी पुरानी सीट अगर बचा लेगी तो बड़ी गनीमत होगी...... रही बात मुद्दों की तो बुनियादी मुद्दे इस चुनाव में भी साथ है..अभी भी अरुणाचल बुनियादी समस्याओ से वंचित रहा है..इधर मनमोहन ने भी लोगो को आश्वस्त किया है अरुणाचल के पिछडेपन को दूर करने के लिए सरकार एक बड़ा पैकेज देगी ...देखना होगा क्या मनमोहन लोगो का भरोसा जीत पाने में कामयाब हो पाते है या नही ... जो भी हो ममता और राकपा के गठबंधन होने से खाडू के पसीने छूट गए है ?
आईये अब बात महाराष्ट्र की कर लेते है यहाँ भी आज मतदान होना है ॥ एक तरफ़ कांग्रेस राकपा का गठबंधन है तो दूसरी तरफ़ भाजपा शिवसेना का पुराना गठबंधन ... राम दास अठावले के नेतृत्व में बना तीसरा मोर्चा भी अपनी धमाकेदार उपस्थिति इस चुनाव में दर्ज करा रहइस मोर्चे में २३ पार्टिया है ॥ तीसरे मोर्चे के लिए खतरे की घंटी बज गई है क्युकी उससे गवई गुट अलग हो चुका है ... अब देखना होगा देश में तीसरे और चौथे मोर्चे को नकार चुकी जनता क्या इस बार महारास्त्र में उसको कमान सोपती है॥
कांगरी की बात करे तो पर उसको सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है... हालत बहुत अच्छे नही है....अगर लोक सभा के परिणामो पर नजर डाले तो यहाँ दोनों गठबन्धनों में १० सीट का अन्तर रहा था .... कांग्रेस राकपा भाजपा शिवसेना से मात्र १० सीट आगे रही थी॥ अगर इस पर यकीन करे तो यहाँ पर कांग्रेस का पलडा बहुत भारी नही कह सकते.... हाँ यह अलग बात है ९५ में एक बार भाजपा शिवसेना की सरकार यहं जरुर बनी थी पर अभी तक यहाँ कांग्रेस का राज रहा है.... महंगाई , बिजली ,पानी , किसान आत्महत्या ,जैसे मुद्दे कांग्रेस के लिए संकट पैदा कर सकते है ..परिसीमन ने पूरा गणित गडबडा दिया है ...चुनाव में तकरीबन ८९ सीट परिसीमन से प्रभावित हुई है ...राकपा का गद मानी जाने वाली पश्चिमी महाराष्ट्र की करीब ७० सीट परिसीमन से प्रभावित हो गई है अब अगर इस चुनाव में कोई नए नतीजे सामने आ जाए तो कोई चौकने की बात नही होनी चाहिए॥ अल्पसंख्यक वोट भी खासे अहम् है ॥ इस बार यह किसकी और जाते है यह भी महत्वपूर्ण होगा ...खेल ख़राब करने में यह खासे अहम् होंगे॥ अठावले कांग्रेस के कुछ वोट काट सकते है ..अगर दलित और मुस्लिम वोटो में सेंध लगा पाने में वह कामयाब हो गए तो राकपा और कांग्रेस की मुश्किलें तेज हो जायेंगी... चुनावो में कुछ इलाके ऐसे है जो हार जीत को तय करेंगे....पश्चिम महारास्त्र शरद पवार का गद रहा है .... यह इलाका गन्ना उत्पादक किसानो का है॥ इस समय किसान शरद पवार से नाराज चल रहे है जिसका खामियाजा उनको हार के रूप में भुगतना पड़ सकता है ...उत्तरी महारास्त्र में राज ठाकरे मजबूत है... इस बार भी वह यहाँ के समीकरणों को प्रभावित करने की कैपेसिटी रखते है ॥ मराठवाडा में शिव सेना भाजपा गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है ॥ यह अलग बात है यह अशोक चौहान का भी नगर है...कोंकण नारायण राने का गद रहा है... इस बार भी यह पर उनका जलवा चल सकता है ..विदर्भ के इलाके में कांग्रेस राकपा को परेशानी उठानी पड़ सकती है ... क्युकी किसानो ने सबसे अधिक आत्महत्या यही की है ...देश में आत्महत्या के मामलो में विदर्भ सबसे आगे है..यहापर शिवसेना भाजपा अच्छा कर सकते है ...
मुंबई की ३६ सीटो पर भी सबकी नजर है ..यहं की ३० सीट उत्तर भारतीय के प्रभाव वाली है ...यहं पर मराठा मानुष का मुद्दा फीका पड़ सकता है...कभी इन सीटो पर शिव सेना का प्रभाव हुआ करता था पर आज परिस्थिति बदल चुकी है ...थाने की २४ सीट भी भावी सरकार की दिशा को तय करेंगी... इन सीट पर भी शिव सेना भाजपा आगे रहा करती थी लेकिन इस लोक सभा चुनाव में वह बुरी तरह से पीछे हो गई थी.....राज ठाकरे की बात करे तो लोक सभा चुनाव में शिव सेना को हारने में उन्होंने खासी भूमिका निभायी ......तकरीबन १० सीट पर वह लोक सभा चुनाव में आगे रही जिसने शिव सेना की सीट कम कराने में अहम भूमिका निभायी...अब इस चुनाव में वह पहली बार मैदान में उतर रही है ...राज की माने तो मराठियों के साथ इस चुनाव में न्याय किया जाएगा....उनके हितों की रखवाली राज ही कर सकते है... इतना तय है राज इस बार भी शिव सेना भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते है ॥ लोक सभा चुनावो में भी देखा गया था उनकी पार्टी तीसरे नम्बर पर रही थी साथ ही दुसरे खेल ख़राब करने में उसने अहम भूमिका निभाई थी इस लिहाज से देखे तो इस बार भी ज़ंग रोमांचक हो रही है.... तीसरा मोर्च अगर अच्छी स्थिति में चले गया तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है ... खैर ,जो भी हो महाराष्ट्र की इस बार की ज़ंग रोमांचक बनती जा रही है ...तीसरा मोर्चा और राज की मनसे दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है ॥ ऐसे में देखना होगा महाराष्ट्र के महाभारत में कौन सा योद्धा विजयी होता है ?
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